समानता और लोकतंत्र की शिक्षा देने वाले संविधान को उसके मूल स्वरूप में संरक्षित किया जाना चाहिए: नजीब जंग

April 24, 2024 0 Comments 0 tags

श्री रामबहादुर राय की पुस्तक आईने हिन्द: अनकही कहानी‘ (उर्दू संस्करण) का राष्ट्रीय उर्दू परिषद में विमोचन एवं चर्चा

नई दिल्ली: राष्ट्रीय उर्दू भाषा विकास परिषद के प्रधान कार्यालय में श्री रामबहादुर राय की पुस्तक आईने हिन्द: अनकही कहानीका विमोचन किया गया और एक परिचर्चा का आयोजन किया गया, जिसकी अध्यक्षता पूर्व उपराज्यपाल दिल्ली ने की। श्री नजीब जंग ने अपने अध्यक्षीय भाषण में भारत के संविधान के बारे में बात करते हुए कहा कि संविधान की मूल संरचना को बदलने की आवश्यकता नहीं है, इसे इसके मूल स्वरूप में बनाए रखना आवश्यक है। संविधान समानता और लोकतंत्र की सीख देता है। उन्होंने भारत के संविधान की कहानी के बारे में बात करते हुए कहा कि यह एक अनोखा कार्य है और ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और फिर कभी नहीं होगा, यह किताब हर किसी को पढ़नी चाहिए और खासकर नई पीढ़ी को पढ़नी चाहिए।

                राष्ट्रीय परिषद के निदेशक डॉ. शम्स इकबाल ने स्वागत भाषण प्रस्तुत करते हुए सभी अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर दिल्ली के चार विश्वविद्यालयों में बुक एंड रीडिंगनामक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। छात्रों को पुस्तक के करीब जाना चाहिए और पुस्तक संस्कृति को बढ़ावा देना चाहिए, उन्होंने कहा कि कोई भी देश संविधान से चलता है, और सरकारें संविधान के दायरे में चलती हैं, यह पुस्तक बहुत अनूठी है,

इस पुस्तक को पढ़कर कोई भी समझ सकता है। संविधान क्यों बनाया गया और संविधान बनाने की प्रेरणाएँ क्या थीं, यह सभी बातें इस पुस्तक में बहुत अच्छी तरह से बताई गई हैं।

                श्री रामबहादुर राय अध्यक्ष इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र ने अपने संबोधन में कहा कि संविधान पर विश्वास करना एक बात है और इसे जानना दूसरी बात है। संविधान को जानने के लिए इस किताब को पढ़ना बहुत जरूरी है। संविधान पर कई पुस्तकें हैं। देश के प्रत्येक नागरिक को उस देश के संविधान को समझना चाहिए जिसमें वह रह रहा है और उसमें उल्लिखित कानूनों का पालन करना चाहिए। संविधान में लिखा है कि इसे बदला नहीं जा सकता है, लेकिन भारत का संविधान  जरूरत पड़ने पर बदला भी जा सकता है, ये संविधान की ताकत भी है और भारत की ताकत भी है। उन्होंने आगे कहा कि संविधान की सबसे बड़ी ताकत यह है कि इसमें धर्म और मजहब के लिए कोई जगह नहीं है, बल्कि नागरिक और उसके अधिकारों को केंद्र में रखा गया है।

                कानून विशेषज्ञ और मानवाधिकार विद्वान प्रोफेसर ख्वाजा अब्दुल मुंतकिम ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि हम भाग्यशाली हैं कि हमारे पास संविधान है, दुनिया में कई ऐसे देश हैं जिनके पास अपना लिखित संविधान नहीं है। पुस्तक की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह पुस्तक अत्यंत महत्वपूर्ण है और इस पुस्तक के अधिकांश सन्दर्भ मानक पुस्तकों से दिये गये हैं।

                विशिष्ट अतिथि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान आयोग के सदस्य प्रोफेसर शहीद अख्तर ने कहा कि कोई भी व्यक्ति तभी अच्छा हो सकता है जब वह देश के संविधान का पालन करेगा, जब कानून बन रहा था तो हम उस वक्त के हालात से पूरी तरह अनभिज्ञ थे यह उस समय के परिवेश के बारे में मार्गदर्शन करता है, संविधान को जानने और उसे अच्छे से समझने के लिए इस पुस्तक का अध्ययन आवश्यक है।

                ‘आईने हिन्द: अनकही कहानीके अनुवादक डॉ. जावेद आलम ने कहा कि भारत के संविधान से संबंधित चर्चा वास्तव में पढ़ने से संबंधित है। समारोह का संचालन हक्कानी अल-कासिमी ने किया और धन्यवाद ज्ञापन सहायक निदेशक (शैक्षणिक) डॉ. शमा कौसर यज़दानी ने व्यक्त किया।

                इस कार्यक्रम में श्री मोहम्मद अहमद सहायक निदेशक (प्रशासन), सुश्री नीलम रानी, कलीमुल्लाहइंतखाब अहमद, शाहनवाज मोहम्मद खुर्रम,अजमल सईद, डॉ मुसर्रत और परिषद के पूरे स्टाफ ने भाग लिया। इस कार्यक्रम में उर्दू जगत की सम्मानित हस्तियों ने भी भाग लिया, जिनमें दानिश इकबाल, सोहेल अंजुम, प्रोफेसर खालिद महमूद, प्रोफेसर तस्नीम फातिमा, प्रोफेसर शाहपर रसूल, श्री फिरोज बख्त,डॉ माजिद देवबन्दी,डॉ मुहम्मद अलीमु, डॉ परवेज़ शहरयार, मुहम्मद नसीम, डॉ  रहमान मुसव्विर, डॉ खान रिज़वान, इशरत जहीर श्री शफीकुल हसन, श्री असद रजा, प्रोफेसर शामिल थे। निजहत परवीन, डॉ. सलमा शाहीन, डॉ. नईमा जाफरी पाशा, प्रो. अख्तर हुसैन, डॉ. रुखशंदा रूही, प्रो. नौशाद मलिक, डॉ. अबू जहीर रब्बानी, श्री खुर्शीद हयात, श्री मुहम्मद शहजाद, मुहम्मद अफजल आदि शामिल हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Explore More

اردو شاعری میں رام اور رام کتھاؤں کی روایت مضمون نگار: محمد قاسم انصاری

اردو شاعری میں رام اور رام کتھاؤں کی روایت محمد قاسم انصاری اردو میں رام چندر جی سے محبت و عقیدت کے اظہار کی روایت کوئی نئی نہیں۔ علامہ اقبال

دکن کی مایہ ناز محقق ڈاکٹر ثمینہ شوکت – مضمون نگار : ڈاکٹر رؤف خیر

   تاریخ شاہد ہے کہ کئی شخصیتیں پسِ پردہ رہ کر کارنامے انجام دیتی رہی ہیں۔نظام سادس میر محبوب علی خان نہایت کم سنی میں تخت پر بٹھائے گئے تھے

خواتین افسانہ نگار:انسوییں صدی کے نصف آخر سے: ڈاکٹر حنا افشاں

  دنیا کی تاریخ پر نظر ڈالیں تو ہر چھوٹی بڑی تحریک کے پس منظر میں صنف نازک کا دست عمل کارفرما نظر آتا ہے بظاہر وہ منظر عام پر